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राहु और केतु हिंदू ज्योतिष में छाया ग्रह माने जाते हैं, जिनका जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। इन ग्रहों की स्थिति कुंडली में अनुकूल न होने पर व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। राहु केतु जाप एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जिसका उद्देश्य इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करना और जीवन में शांति, सुख, एवं समृद्धि प्राप्त करना है।

राहु और केतु का ज्योतिषीय महत्व

राहु और केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह कहा जाता है, जो किसी भौतिक रूप में नहीं होते, लेकिन इनका प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर देखा जाता है। इन ग्रहों का असर इस प्रकार हो सकता है:

  • राहु: राहु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में भ्रम, धोखा, मानसिक तनाव, और अचानक घटनाओं को बढ़ावा देता है। इसे मायावी ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को अनुचित कार्यों की ओर आकर्षित कर सकता है।
  • केतु: केतु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता, मानसिक अशांति, और आध्यात्मिक उन्नति में रुकावट पैदा कर सकता है। इसे मोक्ष और रहस्यमय शक्तियों से जुड़ा ग्रह माना जाता है।

राहु केतु जाप का महत्व

राहु केतु जाप का उद्देश्य इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करना और जीवन में शांति और स्थिरता प्राप्त करना है। यह जाप निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति: यह जाप व्यक्ति को राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों से बचाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
  • मानसिक शांति: राहु और केतु से उत्पन्न मानसिक अशांति और तनाव को कम करने में यह जाप अत्यंत प्रभावी है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह जाप आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो ध्यान और साधना में लगे रहते हैं।
  • कुंडली दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में राहु और केतु की स्थिति अशुभ है, उनके लिए यह जाप अत्यंत लाभकारी होता है।

राहु केतु जाप की विधि

राहु केतु जाप को विधिपूर्वक संपन्न करने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए:

  1. संकल्प और पूजा सामग्री: जाप से पहले संकल्प लें और राहु केतु की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, जैसे काले तिल, नीले और काले वस्त्र, दीपक, धूप, और पुष्प आदि तैयार करें।
  2. जाप मंत्र: राहु केतु के लिए विशेष मंत्र होते हैं, जिन्हें सही उच्चारण के साथ जाप करना आवश्यक है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
  • राहु मंत्र: “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।”
  • केतु मंत्र: “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।”
  1. जाप की संख्या: राहु केतु जाप की संख्या का महत्व है। यह संख्या आमतौर पर 18,000 या 1,25,000 हो सकती है, जो व्यक्ति की समस्या और उद्देश्य के अनुसार होती है।
  2. शुद्ध स्थान और समय: जाप के लिए प्रातःकाल या सूर्यास्त का समय उत्तम माना जाता है। शुद्ध स्थान और शांत वातावरण में जाप करना चाहिए।
  3. पूजन के बाद: जाप के उपरांत राहु और केतु के लिए हवन करना शुभ होता है। हवन सामग्री में काले तिल, गुड़, और विशेष जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है।

राहु केतु जाप के लाभ

राहु केतु जाप के कई लाभ हैं, जो साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं:

  • जीवन में स्थिरता: यह जाप जीवन में स्थिरता लाता है और अनचाही घटनाओं को नियंत्रित करता है।
  • मानसिक शांति: मानसिक तनाव और भ्रम से मुक्ति दिलाता है और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्रदान करता है।
  • स्वास्थ्य में सुधार: राहु और केतु से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार करता है।
  • सफलता और समृद्धि: यह जाप व्यवसाय, करियर, और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि लाने में सहायक है।

निष्कर्ष

यदि आपकी कुंडली में राहु और केतु के अशुभ प्रभाव हैं, तो राहु केतु जाप अवश्य करें। इस जाप से आप अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं और एक सुखी, समृद्ध, और शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। यह जाप एक अनुभवी पंडित जी की देखरेख में संपन्न करें और राहु केतु की कृपा से अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।

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